कैसे समझाऊं अंखियों को - VijayBindaasRaja Shayari | VSR_Dilwala Shayari

कैसे समझाऊं अंखियों को
कुछ मिलेगा न 😭 रोने से 
जरा भी उन्हें फर्क नहीं पडता 
उनके जिन्दगी में मेरे होने न होने से

लेखक :- विजय बिन्दास राजा

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