मैं खुद अपना तज़ुर्बाबता रहा हूँ - विजय बिन्दास राजा

 मैं खुद अपना तज़ुर्बाबता रहा हूँ

दोस्त  दर्द ,ग़म और डर जो भी है

बस तेरे अंदर है, खुद के बनाए

पिंजरे से एक बार निकल कर देख

 तू  भी एक सिकंदर है ।। 😎


VijayBindaasRaja Shayari

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